अटलांटा कौंसुलावास के तत्वाधान में ग्लोबल मॉल में किया गया
विश्व हिंदी दिवस का आयोजन

रिपोर्ट -कनुप्रिया गुप्ता
फोटो : पंकज शर्मा
भाषा ने वर्षों से भविष्य का निर्माण किया है, जब भाषा नहीं थी तब भी जीवन था
पर भाषा की उत्पत्ति के साथ विकास का आगमन हुआ, हिंदी ने जैसे जैसे स्वयं को
समृद्ध किया वैसे वैसे साहित्य, संस्कार और संवेदनाएं भी समृद्ध हुई। प्रारंभ
में मज़बूरी मे, फिर पढाई लिखाई के लिए और फिर काम काज के लिए देश से बाहर
प्रवास करने वाले सभी हिंदी भाषियों के पास एक हिंदी ही थी जिसने हम सभी को एक
दूसरे से जोड़ दिया।
वर्ष प्रतिवर्ष हिंदी दिवस इसलिए नहीं मनाते कि हम हिंदी को याद करते हैं, हम
हिंदी का यह उत्सव हिंदी भाषियों को एक दूसरे से जोड़ने और हिंदी की सम्पूर्णता
और समग्रता का जश्न मनाने के लिए, वैश्वीकरण के इस दौर में अगली पीड़ी को अपनी
थाती सौंपने के लिए मनाते हैं।
अटलांटा में भारतीय कौंसलावास ने वर्ष 2024 का विश्व हिंदी दिवस का यह उत्सव 6
जनवरी 2024 को मनाया। इस कार्यक्रम का आयोजन ग्लोबल मॉल में किया गया, जिसमे
अटलांटा क्षेत्र के कई हिन्दी भाषी लोगों, युवाओं और बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा
लिया। कांसुलेट जनरल श्री एल. रमेश बाबू जी की अगुआनी में आयोजित इस कार्यक्रम
में हिंदी की गरिमा बनाए रखते हुए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया,
जिसमे देश से बाहर रह रहे हिन्दी प्रेमियों ने हिंदी के प्रति अपनी निष्ठा और
समर्पण का परिचय दिया।
प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले इस उत्सव का प्रारंभ करते हुए कौंसुल श्री मदन
घिलदियाल जी ने सभी उपस्थित महानुभावों का स्वागत करते हुए कोंसुलेट जनरल श्री
एल. रमेश बाबू जी को मंच पर आमंत्रित किया, जिनका पदभार ग्रहण करने के पश्चात
हिंदी संबधी यह पहला आयोजन था।
कोंसुलेट जनरल श्री एल. रमेश बाबू जी ने उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए
अटलांटा क्षेत्र में भारतीय कौंसलावास द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किए जाने वाले
इस कार्यक्रम और क्षेत्र में हिंदी के प्रसार के लिए हो रहे अन्य कार्यक्रमों
की जानकारी दी और सराहना की। इसके पश्चात कौंसुल श्री मदन घिलदियाल जी ने
कार्यक्रम की बागडोर अटलांटा हिंदी समिति के प्रमुख श्री संजीव अग्रवाल जी के
हाथ में सौंपते हुए स्थान ग्रहण किया।

श्री संजीव अग्रवाल जी भारत के उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और १९९७ से
अमेरिका में हैं। अटलांटा के भारतीय कौंसलावास के साथ मिलकर हिंदी दिवस एवं
अन्य कार्यक्रमों का आयोजन और अमेरिका में हिंदी के प्रसार के लिए काम कर रहे
हैं। पिछले कई वर्षों से भारत से कवियों को आमंत्रित करके अटलांटा में हिंदी
हास्य कवि सम्मलेन का आयोजन करवा रहे हैं। उन्होंने कार्यक्रम में आए हिंदी
प्रेमियों का स्वागत किया और हिंदी के प्रति निष्ठा बनाए रखने की बात कही।
तत्पश्चात, मुख्य कार्यक्रम का प्रारंभ ‘संगीत बितन म्यूजिक स्कूल” के बच्चों
अनिका गुप्ता, अरहान गुप्ता, अद्वय वेलांकी, आद्या वेलांकी ,देवास्मिता दत्ता,
मिहिर पटवर्धन, प्रिशा लस्कर, शार्वी चौरसिया, नेहा शॉ एवं तनिशी पटेल द्वारा
“नमो शारदा “ एवं “अत्च्युतम केशवं” जैसी मनभावन वंदना के गायन से हुआ।
संगीत बितन म्यूजिक स्कूल की संस्थापक रिखिया साहा जी का परिचय करवाते हुए
संजीव जी ने बताया कि संगीत से अपने लगाव के चलते उन्होंने इस स्कूल की नीव रखी
थी और पिछले कई वर्षों से बच्चों और बड़ों को क्लासिकल और कन्टेम्परेरी संगीत की
शिक्षा दे रही हैं।
हम सभी देश से दूर होकर भी हिंदी की डोर थामे हुए हैं इसके अन्य कई कारों में
से एक कारण ये भी है की हम अपने बच्चों को हिंदी की धरोहर सौंपना चाहते हैं
उन्हें उनकी मतृभाषा के साथ समृद्ध होते देखना चाहते हैं, अटलांटामें हिंदी
समिति इस संबध में बहुत अच्छा काम कर रही है, कार्यक्रम में हिंदी समिति के
सदस्यों एवं अन्य हिंदी भाषियों के बच्चों द्वारा प्रत्येक कार्यक्रम में बढ़
चढ़कर हिस्सा लेना इस बात का प्रमाण है कि हम अपने बच्चों को हिंदी से जोड़ने में
सफल हो रहे हैं, प्रियंका गुप्ता के संयोजन में कार्यक्रम में सोहम शर्मा,
सम्वर जैन, आरव भटनागर, शिवी गर्ग एवं संचय गुप्ता ने कबीर के दोहे का पाठ करके
जहाँ एक तरफ उपस्थित हिंदी प्रेमियों का मन मोह लिया वहीँ इस बात का सुकून भी
दिया की हम अपनी भाषा और सांस्कृतिक समृद्धता को बच्चों के मन तक पहुँचाने में
सफल हुए हैं।
इसके पश्चात बच्चों ने “अखंड भारत” नाटक का मंचन किया जिसे देखकर सभी उपस्थित
जनों ने महसूस किया कि देश के बाहर रहकर भी हमारा दिल देश के लिए उतना ही धडकता
है जितना वहां रहकर धडकता है, इस नाटक के मंचन में धीरज लुणावत, ताविशा लुणावत,
प्रमिति वोरा, अथर्व मिश्रा, कौस्तुकी दीक्षित, सिया बज़ारी, ऐशी जैन और स्पृहा
लोखंडे ने भाग लिया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए संजीव जी ने
एमरी विश्वविद्यालय में हिन्दी प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत
डॉक्टर ब्रजेश समर्थ जी का परिचय करवाते हुए हुए उन्हें मंच पर आमंत्रित किया।
हिन्दी अध्यापन के साथ-साथ ब्रजेश जी एक
कहानीकार और कवि भी हैं। उनका एक काव्य संकलन 'मन' के नाम से प्रकाशित हो चुका है
और दूसरा काव्य संकलन 'मन से परे' शीघ्र ही हमारे बीच होगा।
भारत के बाहर हिंदी के फलने फूलने के लिए जहाँ कई स्वयंसेवी और हिंदी प्रेमी
प्रयासरत हैं वहीँ दूसरी तरफ युवा और बच्चे भी भाषा को अपने जीवन में उतारकर
मातृभाषा से जुड़े हुए हैं, इसी प्रयास में संगीत बितन संगीत विद्यालय से आए
बच्चों अनिका गुप्ता, अरहान गुप्ता, अद्वय वेलांकि, आध्या वेलांकि, देवास्मिता
दत्ता ,एरिन समद्दर, परिशा लस्कर,शर्वि चौरसिया, मिहीर पटवर्धन, प्रिशा लस्कर
और स्नेह शॉ ने “इत्ती सी हँसी, इत्ती सी ख़ुशी” गाकर सभी हिंदी भाषियों को
गुनगुनाने और मुस्कुराने की वजह दी। इसी के साथ “कमिंग हिंदीUSA विद्यालय” से
आए बच्चों सिया तिवारी, सिश्का अग्रवाल, धिआन गोगरी, प्रणव विग्नेश, प्रणव राज,
सयन जैन और शयन दास ने काव्यपाठ किया, और कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित सभी लोगों
को कविताओं की दुनिया से जोड़ दिया।
कार्यक्रम में आगे बढ़ते हुए धूप छाँव नाट्य संस्थान के सदस्यों द्वारा “गज फुट
इंच” नाटक का मंचन किया गया, जिसका लेखन श्री के.पी.सक्सेना, निर्देशन और
संपादन संध्या सक्सेना भगत और संगीत संकलन अनिल भगत ने किया। इस नाटक में ऋता
कपाही, अमित प्रसाद, सिद्धार्थ गर्ग, अनिल जसवानी, चाँदनी अग्रवाल, नीतीश दुबे,
शबाना सईद ने अभिनय किया।
श्रुति म्यूजिक स्कूल एवं VHPA से आए बच्चों ने अपने गीत “हमको मन की शक्ति
देना” और एक बंदिश गाकर समां बाँध दिया, सभी बच्चों अनुशा किणीकर, पालवी पाटील,
सानिका देशपांडे, शनाया पळसे, अदिती देशमुख, तुलसी पटेल, नविका तिवारी, मेधा
देशमुख, अवनी हेबलिकर, दिव्या पाटील, ऋग्वेद पराडकर, सई खांडेकर, तन्वी
खांडेकर, ईश्वरी कुलकर्णी का प्रदर्शन सराहनीय रहा।
कार्यक्रम में आन्या राठी, अनुभूति राठी द्वारा किया गया रश्मिरथी का अंशपाठ,
और तनीषी पटेल, काव्या पांडेय, गीतिका नुने, सीला अक्षया द्वारा प्रस्तुत गीत
“मेरी माँ के बराबर कोई नहीं” भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाला रहा।
कार्यक्रम के अंत की तरफ बढ़ते हुए आशा गुप्ता जी की कविता “क्या कहती हो ठहरो
नारी” ने दर्शकों को उत्साह से भर दिया, वहीँ शबाना सईद जी द्वारा किए गए
काव्यपाठ ने उत्साह में चार चाँद लगा दिए।

बच्चों और बड़ों की मेहनत और हिंदी प्रेम से लबालब ये कार्यक्रम अगर ऐसे ही चलता
रहता तो भी हिंदी प्रेमी इसका आनंद रात भर भी लेते रहते पर, हर शाम जाने के लिए
आती है और ये शाम भी मदन जी द्वारा कार्यक्रम में धन्यवाद् प्रेषित करने के
अपने समापन की तरफ बढ़ी।
हिंदी के उत्सव की इस बेला में भारतीय कौंसलावास की तरफ से मिनी नायर जी ने
संयोजन में विशेष सहयोग दिया, इसी के साथ श्री राजू कंधास्वामी, श्री राजीब
भट्टाचार्य व भारतीय कौंसलावास के अन्य अधिकारियों का भी विशेष योगदान रहा।
श्री पंकज शर्मा ने फोटोग्राफी में और श्री संदीप सांवला ने साउंड में सहयोग
प्रदान किया। टी वी एशिया से अंजलि छाबरिया जी उपस्थित रहीं। ग्लोबल मॉल की तरफ
से श्री शिव अग्रवाल जी ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया।
प्रतिवर्ष होने वाले इस कार्यक्रम को बेहतरीन व्यवस्था और सामुदायिक सहयोग सफल
बनाते रहे हैं। हिंदी के लिए होने वाले इस आयोजन का अटलांटा क्षेत्र के
भारतियों को इंतज़ार रहता है, और भारतीय कौंसलावास को भी इस अवसर पर हिंदी
भाषियों के बीच अपनी बात पहुँचाने का अवसर प्राप्त होता है। इस बार भी लोग
कार्यक्रम से जुडी मीठी यादें लेकर, घर लौटे और साथ ही ये सन्देश भी कि, हिंदी
सिर्फ भाषा नहीं, ये हमारे लिए एक भाव है जो सभी को एक दूसरे से और देश से जोड़े
रखता है।
इसी के साथ इस तरह के आयोजन में श्रोताओं से खचाखच भरा सभागृह और बच्चों,
युवाओं और बड़ो का उत्साह इस बात की गवाही देता है कि जब तक हिंदी के चाहने वाले
हैं हिंदी विश्व के हर कोने में लोगों को एक दूसरे के करीब लाती रहेगी ...और ये
सिलसिला अनवरत चलता रहेगा।